रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है। बीते कुछ दिनों में यूक्रेन ने रूस की सीमा के भीतर घुसकर चार अहम एयरबेस पर हमला किया है। ये हमले सिर्फ रणनीतिक ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक तौर पर भी बेहद असरदार माने जा रहे हैं। सवाल उठता है—आखिर ये हमले कैसे हुए? कौन से एयरबेस निशाने पर थे? और अब आगे क्या हो सकता है?

किन एयरबेस पर हुआ हमला?
यूक्रेन ने रूस के जिन चार एयरबेस को निशाना बनाया, उनके नाम हैं:
- कुर्स्क (Kursk)
- एंगेल्स (Engels)
- मोजदोक (Mozdok)
- वोरोनेझ (Voronezh)
इन सभी एयरबेस की खास बात यह है कि ये यूक्रेन की सीमा से सैकड़ों किलोमीटर अंदर स्थित हैं। यानी अब युद्ध की लपटें रूस की जमीन पर भी साफ तौर पर महसूस की जा रही हैं।
कितना हुआ नुकसान?
मीडिया रिपोर्ट्स और सैटेलाइट इमेज के अनुसार, इन हमलों में रूस के कई फाइटर जेट्स और बमवर्षक विमानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
Engels Airbase सबसे ज्यादा चर्चा में है, क्योंकि वहां रूस अपने न्यूक्लियर-कैपेबल बमवर्षक विमान रखता है।
एक धमाका इतना जोरदार था कि उसकी आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी।
हमला कैसे किया गया?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन ने इन हमलों के लिए लॉन्ग-रेंज कामिकाज़े ड्रोन का इस्तेमाल किया।
ये ड्रोन 1000 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करने में सक्षम हैं।
ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि इन ड्रोन हमलों में पश्चिमी देशों द्वारा दी गई तकनीक या खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किया गया हो सकता है।
रूस की प्रतिक्रिया
रूस ने इन हमलों की निंदा करते हुए इसे “आतंकवादी कार्रवाई” बताया है और यह भी कहा है कि इसका करारा जवाब दिया जाएगा।
लेकिन रूस की अंदरूनी सीमाओं में हमलों से साफ है कि अब यह युद्ध सिर्फ फ्रंटलाइन तक सीमित नहीं रह गया है।
क्या बदल जाएगा युद्ध का भविष्य?
विशेषज्ञों का मानना है कि ये हमले सिर्फ एयरबेस को निशाना बनाने के लिए नहीं थे, बल्कि ये एक मनोवैज्ञानिक रणनीति भी थी।
यूक्रेन ने यह दिखा दिया है कि वह अब केवल अपनी रक्षा नहीं करेगा, बल्कि अगर ज़रूरत पड़ी तो दुश्मन की ज़मीन में घुसकर हमला भी कर सकता है।
यह एक बड़ा बदलाव है—अब लड़ाई सिर्फ सीमाओं की नहीं, रणनीति और मनोबल की भी हो चुकी है।
निष्कर्ष
रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक ऐसे पड़ाव पर आ चुका है, जहां दोनों पक्षों के लिए हर कदम बहुत सोच-समझकर उठाना होगा।
यूक्रेन की यह नई रणनीति रूस के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
आने वाले समय में क्या यह युद्ध और तेज़ होगा?
क्या ये हमले किसी बड़े टकराव का संकेत हैं?
इसका जवाब आने वाले हफ्तों में मिलेगा।